दार्द, हूण हुंजा,
अम्बिस्ट आम्ब, पख्तू, कम्बोज, गान्धार, कैकय,
वाल्हीक बलख, अभिसार (राजौरी), कश्मीर, मद्र, यदु,
तृसु, खांडव, सौवीर सौराष्ट्र, शल्य, कुरु, पांचाल,
कोसल, शूरसेन, किरात, निषाद, मत्स, चेदि, उशीनर,
वत्स, कौशाम्बी, विदेही, अंग, प्राग्ज्योतिष (असम),
घंग, मालवा, अश्मक, कलिंग, कर्णाटक, द्रविड़, चोल,
शिवि शिवस्थान-सीस्टान-सारा बलूच क्षेत्र, सिंध का
निचला क्षेत्र दंडक महाराष्ट्र सुरभिपट्टन मैसूर, आंध्र
तथा सिंहल सहित लगभग 200 जनपद महाभारत में
वर्णित हैं। इनमें से प्रमुख 30 ने महाभारत के युद्ध में भाग
लिया था।
इनमें से आभीर अहीर, तंवर, कंबोज, यवन, शिना, काक,
पणि, चुलूक चालुक्य, सरोस्ट सरोटे, कक्कड़, खोखर,
चिन्धा चिन्धड़, समेरा, कोकन, जांगल, शक, पुण्ड्र,
ओड्र, मालव, क्षुद्रक, योधेय जोहिया, निषाद, शूर,
तक्षक व लोहड़ आदि आर्य धर्म का पालन करने वाले
लोगों ने भाग लिया था। बाद में महाभारत के अनुसार
भारत को मुख्यत: 16 जनपदों में स्थापित किया गया।
जैन ‘हरिवंश पुराण’ में प्राचीन भारत में 18 महाराज्य थे।
पालि साहित्य के प्राचीनतम ग्रंथ ‘अंगुत्तरनिकाय’ में
भगवान बुद्ध से पहले 16 महाजनपदों का नामोल्लेख
मिलता है। इन 16 जनपदों में से एक जनपद का नाम कंबोज
था। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार कंबोज जनपद सम्राट अशोक
महान का सीमावर्ती प्रांत था। भारतीय जनपदों में
राज्याणि, दोरज्जाणि और गणरायाणि शासन था
अर्थात राजा का, दो राजाओं का और जनता का
शासन था। *राम के काल 5114 ईसा पूर्व में नौ प्रमुख
महाजनपद थे जिसके अंतर्गत उप जनपद होते थे। ये नौ
इस प्रकार हैं- 1.मगध, 2.अंग (बिहार), 3.अवन्ति
(उज्जैन), 4.अनूप (नर्मदा तट पर महिष्मती), 5.सूरसेन
(मथुरा), 6.धनीप (राजस्थान), 7.पांडय (तमिल), 8.
विन्ध्य (मध्यप्रदेश) और 9.मलय (मलावार)। *16
महाजनपदों के नाम : 1. कुरु, 2. पंचाल, 3. शूरसेन, 4.
वत्स, 5. कोशल, 6. मल्ल, 7. काशी, 8. अंग, 9. मगध,
10. वृज्जि, 11. चेदि, 12. मत्स्य, 13. अश्मक, 14.
अवंति, 15. गांधार और 16. कंबोज। उक्त 16
महाजनपदों के अंतर्गत छोटे जनपद भी होते थे।
महाभारत काल में भारत के जनपद कौन से थे जानिए…..
3,282 पाठको ने इस आलेख को सराहा हैं