■■■■बॉम्बे का नाम बंदरगाह में काम करने वाले कोलियों की देवी “माँ मुम्बा”के नाम से मुम्बई विख्यात हुआ ■■■■■■■■

1,639 पाठको ने इस आलेख को सराहा हैं


अंग्रेजो के शासन काल मे उनके उच्चारण की सुविधा के लिए महराष्ट्र की राजधानी का नाम बॉम्बे बोला जाने लगा था लेकिन 400 वर्ष पूर्व में इसका नाम बंदरगाह में काम करनेवाले कोलियों की देवी मुंबा देवी के नाम पर मुम्बा देवी ही था।कालांतर में शिवसेना के बाल ठाकरे के आव्हान पर पुनः इस शहर का नाम मुम्बई रजिस्टर्ड कर लिया गयाहै ।
मुम्बा देवी मंदिर मुंबई के भूलेश्वर में स्थित है। मुंबई का नाम ही कोलीयों की देवी मुंबा आई यानि मुंबा माता के नाम से निकला है। यहां इनकी बहुत मान्यता है। यह मंदिर लगभग ४०० वर्ष पुराना है। मुंबई आरंभ में मछुआरों की बस्ती थी। उन्हें यहां कोली कहते थे। कोली लोगों यहां बोरी बंदर में तब मुंबा देवी के मंदिर की स्थापना की। इन देवी की कृपा से उन्हें कभी सागर ने नुकसान नहीं पहुंचाया। यह मंदिर अपने मूल स्थान पर १७३७ में बना था, ठीक उस स्थान पर जहां आज विक्टोरिया टर्मिनस इमारत है।[1] बाद में अंग्रेजों के शासन में मंदिर को मैरीन लाइन्स-पूर्व क्षेत्र में बाजार के बीच स्थापित किया। तब मंदिर के तीन ओर एक बड़ा तालाब था, जो अब पाट दिया गया है। इस मंदिर की भूमि पांडु सेठ ने दान में दी थी, व मंदिर की देखरेख भी उन्हीं का परिवार करता था। बाद में मुंबई उच्च न्यायालय के आदेशा्नुसार मंदिर के न्यास की स्थापना की गई। अब भी वही मंदिर न्यास यहां की देखरेख करता है।

■■■मुंबा देवी मंदिर■■■■■
यहां मुंबा देवी की नारंगी चेहरे वाली रजत मुकुट से सुशोभित मूर्ति स्थापित हई।[1] इस न्यास ने यहां अन्नपूर्णा एवं जगदंबा मां की मूर्तियां भी मुंबा देवी के अगल बगल स्थापित करवायीं थीं। मंदिर में प्रतिदिन छः बार आरती की जाती है। मंगलवार का दिन यहां शुभ माना जाता है। यहां मन्नत मांगने के लिए यहां रखे कठवा (लकड़ी) पर सिक्कों को कीलों से ठोका जाता है। श्रद्धालुओं की भीड़ बहुत रहती है। यह मंदिर लगभग ५० लाख रु. सालाना मंदिर के अनुरक्षण कार्य एवं उत्सव आयोजनों में व्यय करता है।

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *