नये उभरते हुए कवि ईजी.आयुष का एक ओर नया आयाम….

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■■■”संभाल रखी है न तुमने अभी भी वो किताबें ..?

चलो अच्छा है मेरे होने का यकीन दिलाते रहेगी ।।

।। आयुष ।।■■■■

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