वन विभाग से रिटायर लेखापाल गणेश राव बारस्कर वो संवेदनशील नागरिक है जिन्होंने “मानव सेवा को माधव सेवा” मानकर बैतूल से खेड़ी रोड पर स्थित महतगांव में अपने 2 एकड़ के खेत में लगभग 200 “लक्ष्मी तरु” के पोधे लगाकर बड़े कर लिए है।
इन वृक्षो से निकली हुई लगभग 10 बोरे पत्तियां उनके पास उपलब्ध है कोई भी कैंसर रोगी भले ही वह सेकेंड स्टेज में चला गया हो वह इन से इन मोबाईल नम्बर पर सम्पर्क कर अपना इलाज घर में ही कर सकता है ।वह बताते हैं कि ऐसा उन्होंने आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर एवं पूर्व राष्ट्रपति एपीजे कलाम की प्रेरणा से किया इन बुद्धिजीवीयों ने बेंगलुरु में लक्ष्मी तरु के सैकड़ों झाड़ इसी उद्देश्य बहुत पहले रोपित किए थे ।
बारस्कर जी ने लक्ष्मी तरु के बारे में जारी रिसर्च पेपर के माध्यम से बताया कि लक्ष्मी तरु का बॉटनिकल नेम सीमा रूबा ग्लाओ है ।
“लक्ष्मी तरु ” के इस्तेमाल का तरीका इस प्रकार है कि आप रोज 10 किलो वजन पर एक पत्ती के हिसाब से आपका जितना बजन है उतनी पत्तियां एक गिलास जल में उबालकर जब वह पोना गिलास रह जाए तब उसको ठंडा करके पी जाए यह नियमित प्रयोग सेकंड स्टेज कैंसर को भी निदान दिलाने में चमत्कारिक रूप से लाभ देता है। “लक्ष्मी तरु “का पौधा गमलों में भी लगाया जा सकता है ।जिसके लिए बारस्कर जी अपने फार्म हाउस से रोप भी उपलब्ध कराएंगे लक्ष्मी तरु पौधे से ना केवल कैंसर अपितु ज्वाइंट पेन महिलाओं के मासिक धर्म में सफेद पानी निकलना आंखों का रोग है पर एसिडिटी डायरिया कॉलर टाइट चिकनगुनिया ऐपेटाइज एवं मलेरिया में भी रामबाण औषधि के रूप में जाना जाता है।