एकादशी का व्रत 24 बार आते है क्योंकि एक माह में दो पक्ष होते है। भगवान विष्णु को प्रिय एकादशी व्रत को उन्होंने माता एकादशी के रूप में भक्क्तो के मध्य में स्थापित किया है। क्यों किया है!!! इसके पीछे एक विशिष्ट कथा है जिसमें राक्षस मूर देवताओं पर अत्यंत अत्याचार कर रहा था तब देवताओं ने भगवान विष्णु जी के पास इस समस्या का निदान करने का निवेदन किया। क्योंकि राक्षस मूर ने कठोर तपस्या कर ब्रह्मा जी से ब्रह्मा विष्णु महेश सहित 33 कोटि के देवताओं से अभय दान का वरदान मांग लिया था अतः उसको मारने के लिए विष्णु जी ने उसे युद्ध किया क्योंकि उसको वरदान प्राप्त था इसलिए वह मारा तो नहीं गया लेकिन भाग गया भगवान विष्णु युद्ध की थकान उतारने के लिए बद्रिका आश्रम में विश्राम करने चले गए एवं ठक्कर घोर निंद्रा में चले गए उनके पीछे पीछे राक्षस नूर उनसे युद्ध की इच्छा लिए आया उसने सोते हुए भगवान विष्णु को ललकारा लेकिन भगवान विष्णु के शरीर से तेज निकला जिसने स्क्रू रूप रखकर स्त्री रूप रखकर राक्षस मूल को मार डाला उसी तेजी से स्वरूप को भगवान विष्णु ने मां एकादशी के रूप में भक्तों के बीच में स्थापित किया एवं उन्हें वरदान दिया कि जो भी ग्यारस तिथि पर निर्जल उपवास रखेगा उसके सभी पाप समाप्त हो जाएंगे उनके इस वरदान से शनि महाराज एवं यम परिवार विद्रोह कर बैठा उनका तर्क था कि…..पूरी कथा समझने के लिए लिंक ओपन करें।
#एकादशीकाव्रत, #भगवानविष्णुकीकथा, #प्रियएकादशीव्रत, #माताएकादशी
एकादशी व्रत, विष्णु कथा, भक्ति कथा, हिन्दू धर्म, पूजा विधि, धार्मिक कथा, प्रतिष्ठित व्रत, पाप समाप्ति, धार्मिक अद्यात्म