विशाल नेटवर्क वाले “वर्ल्ड प्रेस” में पंजीकृत एवम कई देशों में अपनी विशेष पहचान बनाने वाले हमारे “राष्ट्रीय कल्चर” वेबपोर्टल” को एक लाख सतरह हज़ार हिट्स देने वाले 60000 से अधिक सुधि पाठको एवम फेसबुक के मेरे 5000 अनन्य मित्रो से आज फिर वो अविस्मरणीय पल शेयर करने का मन हो रहा है जब आज से 31 वर्ष पूर्व आज के ही दिन आपका ये मित्र, परिणय बद्ध हुआ था।
जी हाँ 27अप्रैल 1990 यानी अक्षय तृतीया ही वो तारीख है जब मैं “शोभाजी” विवाह बंधन में परिणय बद्ध हो गये थे। 31 वर्षीय गृहस्थी की इस लंबी यात्रा का यदि मैं मंथन करता हुँ तो उसमें कई ऐसे अच्छे निष्कर्ष सूची बद्ध किये जा सकते है जिसका श्रेय मेरे खाते
कम शोभाजी के खाते में ज्यादा जायेगा।
जिसमे उनका वो योगदान जिससे हम दोनों में वैचारिक समन्वयता स्थापित करने के लिए मेरे अच्छे विचारों को प्रेरित करना एवम बुरीआदतों विचारों को हतोत्साहित करने का उनका आत्मविश्वास प्रमुख है।उदाहरण के लिए मैं कॉलेज के जमाने से सिगरेट पीने का आदि था लेकिन उनके प्रयास से उतपन्न स्वप्रेरणा ने ऒर नीली छत्री वाले की कृपा से अंततः आज सिगरेट छोड़े मुझे 25 वर्ष हो चुके है। इसी प्रकार मेरे लेखन, मेरे आधात्मिक रुचि को मेरे प्रोफेशन को उन्होंने स्वयं ऐसे आत्मसात किया कि इन 31 वर्षों में कई ,ऐसी कई आध्यत्मिक उपलब्धि हमारे गृहस्थ जीवन मे प्राप्त हो गई है जिन पर हम आप सभी गर्व कर सकते है। उदाहरण के लिए हम दोनो की सामजस्यता के फलस्वरूप, सोलह बार सोलह सोमवार व्रत का संधारणकरना , 55 वर्षों की गणेश स्थापना की निरन्तरता को बनाये रखना,पिछले 50 वर्षों के नवरात्रि पर्व के उपासना को जारी रखना, प्रत्येक वर्ष तीर्थाटन की निरंतरता को जारी रखना प्रमुख है..जिसके चलते कश्मीर कन्याकुमारी के मध्य अमरनाथजी वैष्णवमाता ,से कन्याकुमारी)से कोलकाता.माई से पशुपतिनाथ नेपाल)की यात्रा सम्पन्न की है। जिसके फलस्वरूप सप्तपुरि यात्रा, चारोधाम यात्रा, 12 ज्योतिर्लिंग यात्रा, 30-32 शक्तिपीठ यात्रा ,दो बार बाबा अमरनाथजी यात्रा और 2बार गयाजी तीर्थ यात्रा सम्भव हो सकी है।अंततः इतने बड़े लेख का लब्बोलुवाब ये है कि जो नए कपल है वो इस लेख में छुपे सन्देश से प्रेरणा लें और अपनी जीवन सङ्गंनी को पूरी अहमियद दें, विश्वास जानिए ऐसा करने से आपकी गृहस्थ की गाडी में एक ऐसा जबरदस्त लुब्रीकेंट मिल जाएगा जिससे आपके जीवन वो सब मिल जायेगा जो आप युगल चाहोगे…