Lok Sabha Elections 2019: दो परिवारों की 40 साल पुरानी पारिवारिक लड़ाई के चलते कांग्रेस ने बीजेपी के हाथों गंवाए मजबूत प्रत्याशी……

653 पाठको ने इस आलेख को सराहा हैं

Congress president Rahul Gandhi (R), talks with his mother and Sonia Gandhi (L).(Siddharaj Solanki /

सीनियर कांग्रेस नेता राधाकृष्णन विखे पाटिल के बेटे डॉक्टर सुजय विखे पाटिल का मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल होना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। यह पिछले करीब चार दशकों से विखे पाटिल और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष शरद पवार के परिवार के बीच विवाद का नतीजा है।

दो परिवार के बीच इस वक्त विवाद का मुख्य कारण बना है अहमद नगर लोकसभा क्षेत्र, जहां से पेशे से न्यूरोसर्जन सुजय लोकसभा चुनाव लड़ना चाह रहे हैं। कांग्रेस ने सुजय के लिए इस सीट की मांग की थी लेकिन महाराष्ट्र में कांग्रेस के सहयोगी दल एनसीपी ने इस सीट को देने या इसे बदलने से साफ इनकार कर दिया।

पवार का राधाकृष्ण विखे पाटिल के पिता और महाराष्ट्र के सीनियर कांग्रेस नेता बालासाहेब से पारिवारिक विवाद चला आ रहा था, जिन्होंने दिसंबर 2016 में 84 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कर दिया।

विखे के परिवार का अहमद नगर में काफी दबदबा रहा है और बालासाहेब के पिता विट्ठलराव विखे पाटिल को लोनी जिले में एशिया का पहला को-ऑपरेटिव चीनी फैक्ट्री लगाने का श्रेय दिया जाता है। राधाकृष्णन ने फरवरी के आखिरी हफ्ते में बताया- “विवाद मेरे पिता और पवार के बीच था। अब, जबकि मेरे पिता नहीं रहे, मैनें पवार से सुजय को पोता की तरह मानने की अपील की थी।” लेकिन, पवार ने ये बात नहीं मानी।

यह साल 1980 का दशक था जब शरद पवार कांग्रेस में थे और राजनीति में युवा थे। उस वक्त बालासाहेब विखे पाटिल का पश्चिमी महाराष्ट्रच की राजनीति में दबदबा माना जा रहा था। पवार ने यशवंतराव गदख और रामराव अदिक दोनों नेताओं को अहमदनगर सीट से उतारा, जहां पर बालासाहेब विरोधी थे। 1990 की शुरुआत में, जब पवार का राज्य कांग्रेस पर नियंत्रण था, वह चाहते थे कि बालासाहेब को टिकट न दिया जाए। उसके बाद पवार ने बालासाहेब के खिलाफ गदख को उतार दिया।

चुनाव के दौरान आरोप प्रत्यारोप सुगर को-ऑपरेटिव्स पर भी लगे। जिसके बाद शरद पवार पर मानहानि करने बालासाहेब कोर्ट चले गए। निचली अदालत में पवार को हार का सामना करना पड़ा। इस दौरान पवार को एक चुनाव में वोट के अधिकार से भी वंचित होना पड़ा। सोमवार को पवार ने कांग्रेस नेताओँ को बताया कि वह पुरानी चीजों को भूलने के लिए तैयार नहीं हैं।

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *