विगत दिवस वैक्सीन की “त्रिस्तरीय कीमत” के “तथाकथित औचित्य” को लेकर लेख लिखा था। देश के कई भागों से भी इन बढ़ी हुई कीमतों
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अदार पूनावाला , कृष्णा एला, (सीरम एवं भारत बायोटेक) एवं एक मुनाफाखोर में कोई अंतर रह गया है क्या ? ■■राजीव खंडेलवाल■■■
कोविड-19! निष्कर्ष ! अतार्किक, अविवेक पूर्ण एवं परस्पर विरोधाभासी! परंतु सत्यता के निकट! ■■राजीव खंडेलवाल■■■
कोरोनावायरस संक्रमण काल से एक दो चीजें अच्छी और बुरी दोनों उभर के सामने आई हैं। उस पर भी आपके ध्यान देने की आवश्यकता
छोटी छोटी बात को बड़ा इश्यू बनाकर हँसती खेलती गृहस्थी को डाइवर्स के कागार तक पहुंचाने वाले अपरिपक्व युगलों के लिए ये लेख एक सबक है!!!
विशाल नेटवर्क वाले “वर्ल्ड प्रेस” में पंजीकृत एवम कई देशों में अपनी विशेष पहचान बनाने वाले हमारे “राष्ट्रीय कल्चर” वेबपोर्टल” को एक लाख सतरह
कोविशिल्ड” व “कोवैक्सीन” के निर्माता “लोकतंत्र” के सही “संरक्षक” हैं? राजीव खंडेलवाल
(लेखक वरिष्ठ कर सलाहकार एवं पूर्व नगर सुधार न्यास अध्यक्ष हैं)
” भारतीय लोकतंत्र की ‘खूबसूरती’ उसका “त्रिस्तरीय” होना है। अर्थात् हमारा लोकतंत्र संसद (लोकसभा एवं राज्यसभा), विधानसभा (एवं विधान परिषद) और स्थानीय स्वशासन संस्थाएं
कर्मो का होता है रिकार्ड रजिस्टर ….
हमने अक्सर देखा है कुछ ऐसे लोग जिन्हें समाज मे अच्छी नजर से नहीं देखा जाता क्योकि वे सफल तो जरूर हुवे है लेकिन