हर्षोउल्लास से भगवान परशुराम जन्मोत्सव मनाने आयेबैतूल सनातन ब्राह्मण समाज के सदस्य….

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परशु अस्त्र (फरसे) का पूजन कर भंडारा प्रसादी वितरण किया गया। सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की। इस मौके पर समाज के अध्यक्ष सुभाष पांडे ने कहा कि महाभारत और रामायण दो युगों की पहचान हैं।

रामायण त्रेतायुग में और महाभारत द्वापर में हुआ था। पुराणों के अनुसार एक युग लाखों वर्षों का होता है। ऐसे में देखें तो भगवान परशुराम ने न सिर्फ श्री राम की लीला बल्कि महाभारत का युद्ध भी देखा। महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष शेाभा भट्ट और अनिल मिश्रा ने कहा कि भगवान परशुराम का जन्म भगवान श्रीराम के जन्म से पहले हुआ था। इनका जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन-रात्रि के प्रथम प्रहर में हुआ था। परशुराम जी के जन्म समय को सतयुग और त्रेता का संधिकाल माना जाता है और भगवान परशुराम न्याय के देवता है। समाज के मयंक भार्गव व मोहन मिश्रा ने कहा कि भगवान परशुराम जी की माता का नाम रेणुका और पिता का नाम जमदग्नि ॠ षि था। भगवान शिव की तपस्या से खुश होकर इन्हें मृत्युलोक के कल्याणार्थ परशु अस्त्र प्रदान किया, जिसके कारण वे परशुराम कहलाए।

कार्यकारी अध्यक्ष महेन्द्र दीक्षित ने कहा कि हिन्दी नववर्ष के अनुसार वैशाक मास की शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसी दिन इनका भी जन्म हुआ था। ऋ षि परशुराम भगवान विष्णु का छठा अवतार हैं। भगवान परशुराम भगवान शिव के सबसे बड़े भक्त थे। इस अवसर पर पंडित महेन्द्र दीक्षित, उषा दिवेदी, अध्यक्ष सुभाष पांडे, उपाध्यक्ष, रवि त्रिपाठी,राजेश अवस्थी, राकेश बाजपेयी, कोषाध्यक्ष मोहन मिश्रा, सचिव नरेन्द्र अवस्थी, सहसचिव हिरेन्द्र शुक्ला, दीपक शर्मा, अशोक दीक्षित, नारायण मिश्रा, नीलम दुबे, महिला अध्यक्ष शोभा भट्ट, अनिल दुबे, शशांक तिवारी, विजय मिश्रा, सपन दुबे, अनिरूद्ध दुबे, प्रमोद मिश्रा, धीरू शर्मा, महेश पांडे, ब्रजमोहन भट्ट, विथि अवस्थी, संगीता अवस्थी, सीमा मिश्रा, ममता भट्ट, गायत्री पांडे, शिखा मिश्रा, राम भार्गव, मनीष शर्मा, युवा अध्यक्ष अर्पित भार्गव, शोभा भट्ट पदमकांत शुक्ला, अशोक सायरे, अभिषेक पांडे, अनिल बाजपेयी, सिद्धार्थ तिवारी, आशीष पांडे, दिनेश मिश्रा, शैलेष गुबरेले,पूनम अवस्थी, संध्या बोहरे, शोभा मिश्रा, रेणुका दीक्षित, ज्ञानेदु मिश्रा, हरेश पाठक, साक्षी शर्मा, अंजु बाजपेयी, आरती शर्मा, उमा दीक्षित आदि स्वजातीय बंधु मौजूद थे।

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