■■■आज मुझे मेरे परिवार एवम बालसखा प्रभाकर खण्डागले के परिवार सहित धारूढ़ की अम्बे माँ एवम चोरागढ़ गुप्तेश्वर के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ!!!!■■■

8,066 पाठको ने इस आलेख को सराहा हैं


मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र की सीमा से सटे बैतूल जिले के आठनेर तहसील में आठनेर ने 60 किलोमीटर दूर आठनेर-हिडलीरोड (10 km )गारगुड ,हिरादेही मानी -धारूढ़ कुल 60km दूर धारूड़ ग्राम पंचायत में अंबा माई का मंदिर परम पवित्र सतपुड़ा पर अपनी वैभवशाली सत्त लिए सुशोभित है।यहाँ दोनो राज्यो की सीमा का रोचकआलम ये है कि रोड के दाएं तरफ मध्यप्रदेश तो टार रोड के बायें तरफ महाराष्ट शुरू हो जाता है यानी एक ही गांव में साथ महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश के शासकीय कर्मचारी रहते है ।
कहा जाता है कि इस मंदिर की खोज एक मनिहार बेचने वाले मंगला नामक महिला ने की थी। जिसे आज भी लोग इसे मंगला मां कहते हैं। कुछ किवदंतियों के अनुसार मंगला ने अंबा देवी की कृपा करके विभिन्न तरह की सिद्धियां प्राप्त कर ली थीं। जिसके चलते अंबा मा के दरबार में आने वाला कोई भी भक्त कभी खाली हाथ नहीं गया।
चूंकि अंबा देवी की ये गुफा घने जगल में स्थापित हैं, इसलिए यहां शेरों का आना-जाना आम बात माना जाता है परंतु इन शेरों से आज तक मंदिर में आने वाले किसी भक्त को कोई नुक्सान नहीं हुआ। अंबा देवी मंदिर में एक गहरी गुप्त गुफा भी है जहां ऋषि मुनि आश्रम प्राचीन समय में निवास किया करते थे। ऋषि मुनि आश्रम की इस गुफ़ा में एक बगीचा है जहां आज भी कई ऋषि-मुनि तपस्या में लीन हैं। इसके अलावा यहां कई प्रकार के वनस्पति पेड़ भी मौज़ूद है और गुफा में निर्मित तलाब के पास मां अंबे, गणेश जी, शिव शंकर और काली मां विराजमान हैं। लेकिन आपको बता दें कि इस गुफा में जाना मौत के समान माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां जाने के मार्ग में कई जंगली जानवरों का सामना करना पड़ता है।
कुछ किवंदतियों के अनुसार यहां आने वाले कई ऐसे भक्त है जिनको तपस्वी मंगला देवी ने इस आश्रम के दर्शन करवाएं, उनमें से कई आज भी जीवित हैं।

पौराणिक किवंदतियों के अनुसार-
एक बार की बात है मध्यप्रदेश में आठनेर नामक गांव के किसी सुनील नामक 9 साल के बालक को सपने में माता रानी किसी जगह के दर्शन करवाती थी उसके बाद उसे पलंग से नीचे फेंक देती थी। देखते ही देखते ऐसा हर रोज़ होने लगा। भूत-प्रेत का साया समझकर उसके माता-पिता ने कई बाबाओं के पास जाकर उसके कई इलाज करवाए। लेकिन कोई फायदा न हुआ और उसको हर रात वही सपना आता रहा। अंत में सुनील के माता-पिता अंबे मां के किसी भक्त से मिले। उसने उन्हें बताया कि इस बालक पर किसी भूत-प्रेत का साया नहीं है बल्कि अंबे मां का आर्शीवाद है। सपने में दिखाई दे रही जगह को ढूंढते-ढूंढते 3 साल बीत गए। फिर कहीं जाकर उसको मां अंबे के पावन दरबार के दर्शन हुए। मां अंबे की गुफा को देखकर सुनील बहुत खुश हो गया और उसने वहीं रहकर मां की पूजा-अर्चना करने का मन बनाया। सुनील के साथ अंबा देवी के मंदिर में कई चमत्कार भी घटित हुए। जैसे नवरात्रों में कई बार जब वो मां का श्रृंगार कर रहा होता या श्रृंगार कर चुका होता, तो गुफा में कुछ शेर आ जाते थे। ऐसा प्रतीत होता था कि जैसे मां की सवारी मां को लेने आई हो। हैरान करने वाली बात यह है कि मां की इस सवारी ने सुनील को कभी नुकसान नहीं पहुंचाया।

मां की सेवा करते-करते 12 साल बीत गए लेकिन एक दिन उसको जन्म देने वाली मां की दी हुई कसम के कारण उसे गुफा छोड़ वापिस अपने घर जाना पड़ा। तब सुनील अंबे देवी के चरणों मेंफूट-फूट कर रोने लगा और मां के चरणों में रहने की अरदास करने लगा। मां ने उसे सपने में दर्शन दिए और कहा बेटा तू चिंता न कर मैं हमेशा तेरे साथ हूं और मेरा आर्शीवाद सदा तेरे साथ रहेगा। जा बेटा तू अपनी जन्म देने वाली मां के पास जाकर उनकी आज्ञा का पालन कर और मेरी ही मूर्तियों का निर्माण कर अपनी आजीविका चला। मां के कहने पर वो वापिस अपने घर चला गया और जैसे मां ने बोला था उसने वैसे ही मूर्तियों को बनाने का अभ्यास शुरू कर दिया और उसको इसमें सफलता भी मिली। जहां तक कि वो माता रानी की ऐसी-ऐसी मूर्तियां बनाने लगा। जिनका निर्माण बड़े-बड़े मूर्तिकार भी नहीं कर सकते थे मां के परम भक्त सुनील पर मां अंबे देवी की ऐसी कृपा हुई कि आज सुनील द्वारा तैयार की गई मुर्तिया मध्यप्रदेश के कई शहरों में जा रही है।

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *