■■■■ मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में स्थित श्री रूकमणी बालाजी मन्दिर ,भव्य कलाकृति के साथ उत्तम मैनेजमेंट का उत्कृष्ट उदाहरण है■■■■■

एकअद्भुतसंस्थान है बालाजीपुरम
भारत वर्ष के मध्य में बसे मध्यप्रदेश ,औऱ म.प्र.के भी ह्रदय में बसे बैतूल जिले में स्थित श्री रुक्मणी बालाजी मंदिर बालाजीपुरम कई मायनों में अद्भुत है।भारत के उन चुनिंदा मंदिरों में शामिल इस संस्थान के चुम्बकीय आकर्षण का ही ये जादू है कि मंदिर में अभी तक देश की सभी प्रमुख आध्यत्मिक हस्तियां भी अपने मस्तक बालाजी के श्री चरणों मे स्पर्श करा चुके है ।ऐसी आध्यत्मिक हस्तियो मे पूज्यपाद आदरणीय चारो पीठ के पूज्यपाद गुरु शंकाराचार्य के अलावा चारो आखाड़ों के असंख्य नागासाधुओ सहित संत अवधेशानंदजी, देवराहा बाबा , रावतपुरा सरकार, विशाल गायत्री परिवार के सहित डॉ प्रणव पंड्या ,मोनी बाबा उज्जैन सहित सभी ने मुक्त कंठ से पांचवे धाम की मान्यता देते हुए इस मंदिर की आध्यात्मिक ऊर्जा को नमन किया है….इस संस्थान में ब्रम्हा विष्णु महेश एवम माँ शक्ति की प्रतिमाओं का अद्भुत समन्वय है …
पिछले एपिसोड में हमने राष्ट्रीय कल्चर वेब पोर्टल के एक लाख दस हज़ार पाठकों को बालाजीपुरम स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शन कराये थे ।आज हम चित्रकूटधाम एवम माँ वैष्णवी के दर्शन अपने सुधि पाठकों के लिए लाइव टेलीकास्ट कर रहे है …आप सभी फेसबुक वेब पोर्टल अथवा वॉट्सऐप के माध्यम से दर्शन लाभ लेते हुए अपने फेसबुक से शेयर एवम लाइक के माध्यम से प्रचार प्रसार का पुण्य लाभ, घर बैठे कमा सकते है।आपके शेयर करते ही आप से जुड़े आपके मित्रो के वाल पर ये वीडियो स्वतः ही पहुंच जायेगा और उन सब के शेयर करने से इस वीडियो की प्रसार संख्या उत्तरोत्तर बढ़ती जाएगी और उसका पुण्य
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“बिजली -पानी” उत्पादन एवम प्रबंधन में आत्मनिर्भर होने के साथ 10-12 किलोमीटर क्षेत्र को ढाई “करोड़ क्यू सेक”भूमिगत जल संग्रह से लाभान्वित कर रहा है बालाजीपुरम……
कश्मीर से कन्याकुमारी हाईवे पर मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में स्थित श्री रुक्मणी बालाजी मंदिर बालाजीपुरम बैतूल ने अपनी कई विशेष क्वालिटियों से बालाजी भक्तों को मंदिर दर्शन हेतु आने के लिए आकर्षित किया/ बाध्य कर दिया है।
मध्यप्रदेश ही नही अपितु महाराष्ट्र एवम छतीसगढ़ के कई स्कूलों से एक्स्ट्रा केलिबर एक्टिविटी के अंतर्गत छात्रों को दर्शन के साथ बालाजीपुरम संस्थान प्रबंधन से प्रायोगिक प्रबंधन सीखने की शिक्षा दी जाती है।
किसी भी देवस्थान की पवित्रता और श्रेष्ठता के लिए संचालन समिति के नित नई चुनोतियों के साथ ईमानदाराना प्रयासों की सख्त आवश्यकता होती है।इन चुनोतियों में मंदिर के संचालन में आने वाली कड़ी चुनोतियों में संस्थान में सफाई,बिजली, औऱ सौंदर्यीकरण,भक्तों को सौम्य अनुशासनमय तरीको से दर्शन कराना, मंदिर में सफाई भक्तो की सुविधाएं में वृद्धि करना आदि प्रमुख चुनोतियाँ है
अगर इन मानदंडों का कोई आई एसओ मार्क नेशनल या इंटरनेशन दिया जाए तो बालाजीपुरम अव्वल आएगा।बालाजीपुरम अव्वल इसलिए आएगा क्योकि बालाजीपुरम इन मानकों से भी दो कदम आगे जाकर अपने सामाजिक दायित्यों का भी पूरी संजीदगी से पालन कर रहा है।मंदिर में जहां भगवान -भक्त के दर्शन के बीच मे ना कोई कलाबा बांध कर दान का प्रश्न रखने वालों का समूह….और इसके विपरीत भक्त के दर्शन ध्यान के लिए पूरी सुविधा वो भी पूर्णतया फ्री!!! साथ ही साथ बालाजी संस्थान अपने सामाजिक दायित्यों का निर्वहन करते हुए वाटर हार्वेस्टिंग , सोलर बिजली का भरपूर उपयोग करके इतनी बिजली पैदा कर रहा है कि एमपीईबी अतरिक्त बिजली बालाजीपुरम से खरीद भी रही है।वाटर हार्वेस्टिंग में बालाजीपुरम बरसात में ढाई करोड़ क्यूं सेक पानी स्टोर कर रहा है जिससे संस्थान को गर्मी में कभी जलाभाव का सामना नही करना पड़ता है ।साथी ही बालाजीपुरम से10-12 किलो मीटर स्थित जमीनों को भी इस वाटरहरवेस्टिंग का भरपूर फायदा बोर रिचार्जिंग के रूप से मिल रहा है..मंदिर के संस्थापक इंजीनियर सेम वर्मा जो की मूल निवासी बैतूल बाजार से है एवम एनआरआई शिकागो से है ,उनका मानना है की आज जब पूरा विश्व जलसंकट से ग्रस्त है ऐसी स्थिति में होली में पानी बचाने से ये समस्या नही सुलझ सकती है अपितु हर घर को हर संस्थान को चाहे वो सरकारी हो या प्रायवेट हो, जितना उनका पानी का कंसप्शन है उसी रेशो में दुगना पानी संरक्षित करना जरूरी है ।इसी प्रकार बिजली भी हार्वेस्ट करने के लिए सोलर पैनल का उपयोग जरूरी है जिसे हर घर को हर संस्थान को अपनाने के लिए जरूरी कानूनी संशोधन करके अनिवार्य किया जाना देश हित मे है।

https://youtu.be/IzcAG49TD7w

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