🌄🌚🌎मेरे प्रिय आत्मन,👩❤️👩
तुम्हें इस सत्य को स्वीकारना होगा कि तुम अकेले हो–हो सकता है कि तुम भीड़ में होओ, पर तुम अकेले जी रहे हो; हो सकता है कि अपनी पत्नी के साथ, प्रेमिका के साथ, प्रेमी के साथ, लेकिन वे अपने अकेलेपन के साथ अकेले हैं, तुम अपने अकेलेपन के साथ अकेले हो, और ये अकेलेपन एक-दूसरे को छूते भी नहीं हैं, एक-दूसरे को कभी भी नहीं छूते हैं।
हो सकता है कि तुम किसी के साथ बीस साल, तीस साल, पचास साल रहते हो–इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है, तुम अजनबी बने रहोगे। हमेशा और हमेशा तुम अजनबी होओगे। इस तथ्य को स्वीकारो कि हम यहां पर अजनबी हैं; कि हम नहीं जानते कि तुम कौन हो, कि हम नहीं जानते कि मैं कौन हूं। मैं स्वयं नहीं जानता कि मैं कौन हूं, तो तुम कैसे जान सकते हो? लेकिन लोग अनुमान लगा लेते हैं कि पत्नी को पति के बारे में पता होना चाहिए, पति यह अनुमान लगा लेता है कि पत्नी को पति का पता होना चाहिए। सभी इस तरह से बर्ताव कर रहे हैं जैसे कि सभी को मन पढ़ने वाला होना चाहिए, और इसके पहले कि तुम कहो, तुम्हारी जरूरत को, तुम्हारी समस्याओं को उसे समझना चाहिए। उसे समझना चाहिए–और उन्हें उस बारे में कुछ करना चाहिए। अब यह सारी बातें नासमझी हैं।
तुम्हें कोई नहीं जानता, तुम भी नहीं जानते, इसलिए अपेक्षा मत करो कि सभी को तुम्हें जानना चाहिए; चीजों की प्रकृति के अनुसार यह संभव नहीं है। हम अजनबी हैं। शायद संयोगवश हम साथ हैं, लेकिन हमारा अकेलापन होगा ही। इसे मत भूलो, क्योंकि तुम्हें इसके ऊपर कार्य करना होगा। सिर्फ वहां से तुम्हारी मुक्ति, तुम्हारा मोक्ष संभव है। लेकिन तुम इससे ठीक उल्टा कर रहे हो : कैसे अपने अकेलेपन को भूलो? प्रेमि, प्रेमिका, सिनेमा चले जाओ, फुटबाल मैच देखो; भीड़ में खो जाओ, डिस्को में नाचो, स्वयं को भूल जाओ, शराब पीओ, ड्रग्स ले लो, लेकिन किसी भी तरह से अपने अकेलेपन को, अपने सचेतन मन तक मत आने दो–और सारा रहस्य यहीं पर है।
तुम्हें अपने अकेलेपन को स्वीकारना होगा, जिसे तुम किसी भी तरह से टाल नहीं सकते। और इसके स्वभाव को बदलने का कोई मार्ग नहीं है। यह प्रामाणिक वास्तविकता है। यही तुम हो।
💜ओशो💚
From Unconsciousness to Consciousness, Talk #15